जो मिलते थे चुपके से भरी दुपहरी में, मै सूर्य के प्रकाश, तुम शीतल पुरवाई बनकर। जो मिलते थे चुपके से भरी दुपहरी में, मै सूर्य के प्रकाश, तुम शीतल पुरवाई बनकर...
जैसे प्यार करना और उसे पाना हर बार हमारे बस में नहीं होता जैसे कहने को तो हम बहोत सी बाते सोचते... जैसे प्यार करना और उसे पाना हर बार हमारे बस में नहीं होता जैसे कहने को तो हम...
एक दिन.. "रहेगा" सिर्फ "वक्त" हम दोनों के बिना ही !! एक दिन.. "रहेगा" सिर्फ "वक्त" हम दोनों के बिना ही !!
स्वागत है, हे वसंत ऋतु, स्नेहशील शब्दों से, अनंत गहराई से जो निकली। स्वागत है, हे वसंत ऋतु, स्नेहशील शब्दों से, अनंत गहराई से जो निकली।
अस्तित्व क्या ? तेरे जीवन में मेरा !! एहसास तुझे भी हुआ , और मुझे भी , अस्तित्व क्या ? तेरे जीवन में मेरा !! एहसास तुझे भी हुआ , और मुझे भी ,
हम तुम दोनों नदी किनारे बैठ देखते जल के धारे नीचे धरती ऊपर अम्बर चाह मिलन की लिए पुकारे। हम तुम दोनो... हम तुम दोनों नदी किनारे बैठ देखते जल के धारे नीचे धरती ऊपर अम्बर चाह मिलन की लिए...